Upanayana Muhurat 2025 – उपनयन मुहूर्त 2025 – Accurate Timings

upanayana Muhurat 2025

आज IndianAstroVedic का विशेष ब्लॉग जनेऊ संस्कार /उपनयन संस्कार /यज्ञोपवीत संस्कार मुहूर्त के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा। साथ ही हम उपनयन मुहूर्त 2025 – Upanayana Muhurat 2025 से संबंधित विस्तार से जानेंगे। हिन्दू सनातन धर्म में जनेऊ संस्कार या जिसे उपनयन संस्कार भी कहा जाता है का विशेष महत्व है क्योंकि बच्चे का जनेऊ संस्कार हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक माना जाता है। साथ ही, कई लोग आज भी शादी के समय रस्में निभाते हैं।

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लेख के साथ आगे बढ़ने से पहले, हम यह स्पष्ट कर लें कि IndianAstroVedic का उपनयन मुहूर्त 2025 – Upanayana Muhurat 2025 एक सार्वजनिक मुहूर्त है। यदि आप अपनी जन्म तिथि से लेकर शुभ मुहूर्त की सही जानकारी चाहते हैं तो विद्वान ज्योतिषियों से कॉल या चैट पर संपर्क करके इन प्रश्नों के सही उत्तर प्राप्त करें।

Upanayana Muhurat 2025 Calculation – उपनयन मुहूर्त 2024 गणना

शुभ समयरेखा की किसी भी अन्य गणना की तरह, उपनयन मुहूर्त 2025 – Upanayana Muhurat 2025 की गणना के लिए पंचांग का होना महत्वपूर्ण है, क्योंकि विद्वान ज्योतिषी तिथि, वार, नक्षत्र और लग्न को देखने के लिए पंचांग का उपयोग करते हैं। उपनयन मुहूर्त का चयन इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर किया जाता है।

नक्षत्र: Upanayana Muhurat 2025 के लिए, अश्विनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, श्रवण नक्षत्र, धनिष्ठा नक्षत्र, शतभिषा नक्षत्र, मूल नक्षत्र , चित्रा नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र, पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र, पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र, रेवती नक्षत्र और भी बहुत कुछ शुभ माने जाते हैं।

तिथि: Upanayana Muhurat 2025 – उपनयन मुहूर्त 2025 के लिए शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि, तृतीया, पंचमी, दशमी, एकादशी और द्वादशी को शुभ माना जाता है। इसके अलावा कृष्ण पक्ष की द्वितीया, तृतीया और पंचमी तिथि को शुभ समय माना जाता है।

वार: उपनयन मुहूर्त 2025 – Upanayana Muhurat 2025 के लिए रविवार, सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार बेहद शुभ माने गए हैं।

लग्न: लग्न से छठे, आठवें या बारहवें भाव में शुभ ग्रहों की स्थिति या इन स्थानों में शुभ ग्रहों की स्थिति – 3, 6, 11. इसके अलावा, लग्न में वृषभ या कर्क राशि में पूर्णिमा की स्थिति शुभ माना जाता है.

महीने: चैत्र, वैशाख, आषाढ़ (देवशयनी एकादशी से पूर्वकाल तक) माघ और फाल्गुन जनेऊ संस्कार के लिए शुभ माने जाते हैं।

जानने योग्य बातें: ब्राह्मण का पवित्र धागा जन्म या गर्भाधान से पांचवें (5वें) या आठवें (8वें) वर्ष में प्राप्त किया जाना चाहिए। क्षत्रिय के लिए जनेऊ छठे (6वें) या ग्यारहवें (11वें) वर्ष में लेना चाहिए और वैश्य के लिए आठवें (8वें) या बारहवें (12वें) वर्ष में जनेऊ लेना शुभ माना जाता है।

जनेऊ कब नहीं करना चाहिए? सप्ताह में शनिवार को, रात में, दोपहर से पहले की अवधि में, सुबह जल्दी, शाम को, तूफान के दौरान आदि में उपनयन से बचना चाहिए। इसके बाद भद्रा और यदि कुंडली में कोई दोष चल रहा हो तो उपनयन मुहूर्त 2025 – Upanayana Muhurat 2025 से बचना चाहिए।

Upanayana Muhurat 2025 : January (Paush-Magh) 2025 – जनवरी (पौष-माघ) 2025

दिनांकशुभ उपनयन मुहूर्त समय
1 जनवरी 202507:45-10:22
11:50-16:46
2 जनवरी 202507:45-10:18
11:46-16:42
4 जनवरी 202507:46-11:38
13:03-18:48
8 जनवरी 202516:18-18:33
11जनवरी 202507:46-09:43
15 जनवरी 202507:46-12:20
13:55-18:05
18 जनवरी 202509:16-13:43
15:39-18:56
19 जनवरी 2025 07:45-09:12
30 जनवरी 2025 17:06-19:03
31 जनवरी 202507:41-09:52
11:17-17:02

Upanayana Muhurat 2025 : February (Magh-Phalgun) 2025 – फरवरी (माघ-फाल्गुन) 2025

दिनांकशुभ उपनयन मुहूर्त समय
1 फरवरी 202507:40-09:48
11:13-12:48
2 फरवरी 2025 12:44-19:15
7 फरवरी 202507:37-07:57
09:24-14:20
16:35-18:55
8 फरवरी 2025 07:36-09:20
9 फरवरी 2025
07:35-09:17
10:41-16:27
14 फरवरी 202507:31-11:57
13:53-18:28
17 फरवरी 202508:45-13:41
15:55-18:16

Upanayana Muhurat 2025 : March (Phalgun-Chaitra) 2025 – मार्च (फाल्गुन-चैत्र) 2025

दिनांकशुभ उपनयन मुहूर्त समय
1 मार्च 202507:17-09:23
10:58-17:29
2 मार्च 202507:16-09:19
10:54-17:25
14 मार्च 2025 14:17-18:55
15 मार्च 202507:03-11:59
14:13-18:51
16 मार्च 202507:01-11:55
14:09-18:47
31 मार्च 202507:25-09:00
10:56-15:31

Upanayana Muhurat 2025 : April (Chaitra-Vaishakh) 2025 – अप्रैल (चैत्र-वैशाख) 2025

दिनांकशुभ उपनयन मुहूर्त समय
2 अप्रैल 2025 13:02-19:56
7 अप्रैल 202508:33-15:03
17:20-18:48
9 अप्रैल 2025 12:35-17:13
13 अप्रैल 202507:02-12:19
14:40-19:13
14 अप्रैल 202506:30-12:15
14:36-19:09
18 अप्रैल 2025 09:45-16:37
30 अप्रैल 202507:02-08:58
11:12-15:50

Upanayana Muhurat 2025 : May (Vaisakh-Jyestha) 2025 – मई (वैशाख-ज्येष्ठ) 2025

दिनांकशुभ उपनयन मुहूर्त समय
1 मई 2025 13:29-20:22
2 मई 202506:54-11:04
7 मई 202508:30-15:22
17:39-18:46
8 मई 2025 13:01-17:35
14 मई 2025 07:03-12:38
17 मई 202507:51-14:43
16:59-18:09
28 मई 2025 09:22-18:36
29 मई 202507:04-09:18
11:39-18:32
31 मई 202506:56-11:31
13:48-18:24

Upanayana Muhurat 2025 : June (Jyestha-Shravan) 2025 – जून (ज्येष्ठ-श्रावण) 2025

दिनांकशुभ उपनयन मुहूर्त समय
5 जून 2025 08:51-15:45
6 जून 2025 08:47-15:41
7 जून 2025 06:28-08:43
11:03-17:56
8 जून 2025 06:24-08:39
12 जून 2025 06:09-13:01
15:17-19:55
13 जून 2025 06:05-12:57
15:13-17:33
15 जून 2025 17:25-19:44
16 जून 2025 08:08-17:21
26 जून 2025 14:22-16:42
27 जून 2025 07:24-09:45
12:02-18:56
28 जून 2025 07:20-09:41
30 जून 2025 09:33-11:50

Upanayana Muhurat 2025 : July (Shravan-Bhadrapada) 2025 – जुलाई (श्रावण-भाद्रपद) 2025

दिनांकशुभ उपनयन मुहूर्त समय
5 जुलाई 2025 09:13-16:06
7 जुलाई 202506:45-09:05
11:23-18:17
11 जुलाई 202506:29-11:07
15:43-20:05
12 जुलाई 202507:06-13:19
15:39-20:01
26 जुलाई 202506:10-07:51
10:08-17:02
27 जुलाई 2025 16:58-19:02

Upanayana Muhurat 2025 : August (Bhadrapada-Ashwin) 2025 – अगस्त (भाद्रपद-आश्विन) 2025

दिनांकशुभ उपनयन मुहूर्त समय
3 अगस्त 2025 11:53-16:31
4 अगस्त 2025 09:33-11:49
6 अगस्त 202507:07-09:25
11:41-16:19
9 अगस्त 2025 16:07-18:11
10 अगस्त 202506:52-13:45
16:03-18:07
11 अगस्त 2025 06:48-11:21
13 अगस्त 202508:57-15:52
17:56-19:38
24 अगस्त 2025 12:50-17:12
25 अगस्त 202506:26-08:10
12:46-18:51
27 अगस्त 202517:00-18:43
28 अगस्त 202506:28-12:34
14:53-18:27

Upanayana Muhurat 2025 : September (Ashwin-Kartik) 2025 – सितम्बर (अश्विन-कार्तिक) 2025

दिनांकशुभ उपनयन मुहूर्त समय
3 सितंबर 2025 09:51-16:33
4 सितंबर 202507:31-09:47
12:06-18:11
24 सितम्बर 202506:41-10:48
13:06-18:20
27 सितंबर 2025 07:36-12:55

Upanayana Muhurat 2025 : October (Kartik-Margashirsha) 2025 – अक्टूबर (कार्तिक-मार्गशीर्ष) 2025

दिनांकशुभ उपनयन मुहूर्त समय
2 अक्टूबर 202507:42-07:57
10:16-16:21
17:49-19:14
4 अक्टूबर 202506:47-10:09
12:27-17:41
8 अक्टूबर 202507:33-14:15
15:58-18:50
11 अक्टूबर 202509:41-15:46
17:13-18:38
24 अक्टूबर 202507:10-11:08
13:12-17:47
26 अक्टूबर 2025 14:47-19:14
31 अक्टूबर 202510:41-15:55
17:20-18:55

Upanayana Muhurat 2025 : November (Margashirsha-Paush) 2025 – नवंबर (मार्गशीर्ष-पौष) 2025

दिनांकशुभ उपनयन मुहूर्त समय
1 नवंबर 202507:04-08:18
10:37-15:51
17:16-18:50
2 नवंबर 2025 10:33-17:12
7 नवंबर 2025 07:55-12:17
9 नवंबर 202507:10-07:47
10:06-15:19
16:44-18:19
23 नवंबर 202507:21-11:14
12:57-17:24
30 नवंबर 202507:42-08:43
10:47-15:22
16:57-18:52

Upanayana Muhurat 2025 : December (Paush-Magha) 2025 – दिसंबर (पौष-माघ) 2025

दिनांकशुभ उपनयन मुहूर्त समय
1 दिसंबर 2025 07:28-08:39
5 दिसंबर 202507:31-12:10
13:37-18:33
6 दिसंबर 202508:19-13:33
14:58-18:29
21 दिसंबर 202511:07-15:34
17:30-19:44
22 दिसंबर 202507:41-09:20
12:30-17:26
24 दिसंबर 202513:47-17:18
25 दिसंबर 202507:43-12:18
13:43-15:19
29 दिसंबर 202512:03-15:03
16:58-19:13

Upanayana Sanskar : Meaning and Importance – उपनयन संस्कार : अर्थ एवं महत्व

सनातन धर्म में जनेऊ संस्कार 16 निर्धारित संस्कारों में से एक है। इसे हिंदू धर्म में दसवां संस्कार माना जाता है। समारोह में, लड़कों को जनेऊ नामक पवित्र धागा पहनाया जाता है। इसे ब्राह्मण, क्षत्रिय और अन्य जातियों के लड़के पहनते हैं। उपनयन शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘उप’ का अर्थ है निकट और ‘नयन’ का अर्थ है दृष्टि। उपनयन का शाब्दिक अर्थ है व्यक्ति को अंधकार से दूर रखकर प्रकाश की ओर ले जाना। इसे धर्म में लोकप्रिय और पवित्र अनुष्ठानों में से एक माना जाता है।

ब्लॉग उपनयन मुहूर्त 2025 – Upanayana Muhurat 2025 से संबंधित सटीक जानकारी प्रदान करता है। यह आमतौर पर दूल्हे के लिए शादी के समय हिंदू धर्म में किया जाता है। इस संस्कार को यज्ञोपवीत के नाम से जाना जाता है।

उपनयन मुहूर्त 2025 – Upanayana Muhurat 2025 के अनुसार, मान्यता है कि जनेऊ संस्कार से बच्चा बचपन से जवानी की ओर बढ़ता है। जीवन में लड़के की प्रगति के लिए योग्य पंडित लड़के के बाएं कंधे के ऊपर और दाहिनी बांह के नीचे पवित्र धागा (जिसे जनेऊ भी कहा जाता है) बांधते हैं। इसे तीन धागों से तैयार किया जाता है जो ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा ये धागे देव रिन, पिता रिन और ऋषि रिन का प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही, लोगों का मानना ​​है कि धागे सत्व, राह और तम का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसके अलावा इसे गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक भी माना जाता है।

हिंदू धर्म में प्रचलित मान्यता है कि तीन धागे तीन आदर्शों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जनेऊ का पहला धागा आध्यात्मिक पथ के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है, दूसरा माता-पिता और उनके पालन-पोषण की पद्धति का प्रतिनिधित्व करता है, और तीसरा आध्यात्मिक शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करता है। व्यक्ति को उन आदर्शों को कभी नहीं भूलना चाहिए जो तीन धागों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हिन्दू धर्म में जनेऊ कोई साधारण धागा नहीं बल्कि एक पवित्र और आध्यात्मिक धागा है।

Janeu’s Religious & Scientific Importance and Health Benefits – जनेऊ का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व एवं स्वास्थ्य लाभ

उपनयन मुहूर्त 2025 – Upanayana Muhurat 2025 के अनुसार और हिंदू धर्म में जनेऊ को उसकी पहचान का हिस्सा माना जाता है। जनेऊ पहनना और सही नियमों का पालन करना हिंदू लड़कों का एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है। जनेऊ धारण करने के बाद ही बालक को यज्ञ और स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है।

वैज्ञानिक महत्व की चर्चा करते हुए ऐसा माना जाता है कि:

  • उपनयन मुहूर्त 2025 – Upanayana Muhurat 2025 के अनुसार, जनेऊ धारण करने के बाद व्यक्तियों को बुरे सपने नहीं आते हैं।
  • जैसे-जैसे जनेऊ हृदय के पास से गुजरता है, हृदय रोग की संभावना भी कम हो जाती है।
  • जनेऊ धारण करने वाला व्यक्ति जीवन में शुचिता के नियमों से बंध जाता है। यह व्यक्ति को दांत, पेट और बैक्टीरिया संबंधी बीमारियों से बचाता है।
  • जनेऊ को दाहिने कान पर पहनने से कान की वह विशेष नस दबती है जिससे मस्तिष्क का सोया हुआ भाग काम करने लगता है।
  • कान पर जनेऊ धारण करने से सूर्य नाड़ी का जागरण होता है।
  • इसके अलावा इसे करने से पेट संबंधी रोग और ब्लड प्रेशर की परेशानी से भी बचाव होता है। यह क्रोध के स्तर को भी नियंत्रित करता है।
  • उपनयन मुहूर्त 2025 – Upanayana Muhurat 2025 के अनुसार, जनेऊ पहनने से व्यक्ति शुद्ध महसूस करता है और व्यक्ति के मन में कोई बुरे विचार या कार्य नहीं आते हैं।
  • जनेऊ कब्ज, एसिडिटी, पेट के रोग, रक्तचाप, हृदय संबंधी परेशानियों और विभिन्न प्रकार के संक्रमणों से सुरक्षा प्रदान करता है।

Some Interesting Facts of Janeu – जनेऊ से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

जनेऊ के 9 तार : प्रत्येक जनेऊ तार में 3 तार होते हैं और ऐसी स्थिति में तारों की कुल संख्या 9 हो जाती है।

जनेऊ की पांच गांठें : जनेऊ में पांच गांठों का विधान होता है। जनेऊ में बनी 5 गांठें ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं।

जनेऊ की लंबाई : जनेऊ की कुल लंबाई 96 अंगुल होती है। ऐसी स्थिति में जनेऊ पहनने वाले से 64 कलाओं और 32 विद्याओं को सीखने का आग्रह किया जाता है। इन विद्याओं का विकास वेदों, चार उपवेदों, छह अंग, छह दर्शन, तीन सूत्रग्रंथों और नौ अरण्यकों के मिश्रण से हुआ है।

जनेऊ धारण करते समय बच्चा केवल छड़ी को पकड़ता है। वह एक ही कपड़ा पहनता है और वह बिना सिलाई का तैयार होना चाहिए। आमतौर पर समारोह के समय धोती और गले में पीले रंग का गमछा पहना जाता है। समारोह के समय इन टुकड़ों को पहनना अनिवार्य है। मौके पर बच्चे और परिवार के लोग भी यज्ञ में शामिल हो रहे हैं.

The Ritual Starts With Gayatri Mantra – अनुष्ठान की शुरुआत गायत्री मंत्र से होती है

यज्ञोपवीत संस्कार का आरंभ गायत्री मंत्र से होता है।

गायत्री के तीन चरण हैं।

‘तत्सवितुर्वरेण्यं‘ प्रथम चरण,

‘भर्गोदेवस्य धीमहि‘ द्वितीय चरण,

‘धियो योनः प्रचोदयात्‘-तीसरा चरण।

Janeu Sanskar Mantras – जनेऊ संस्कार के मंत्र

यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रज्ञापतेरीयत्सहजं पुरस्तात्|

आयुधग्रं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीत बलमस्तु तेज: ||

Correct Method of Janeu Sanskar – जनेऊ संस्कार की सही विधि

अगर संस्कार सही तरीके से किया जाए तो बच्चे को इसका शुभ फल मिलता है। तो आइए जानते हैं जनेऊ संस्कार की सही विधियों के बारे में:

  • आमतौर पर जनेऊ संस्कार बच्चे की कम उम्र में ही किया जाता है। ऐसे में जनेऊ संस्कार शुरू करने से पहले सबसे पहले बच्चे का मुंडन कराया जाता है।
  • इसके बाद बच्चे को नहलाया जाता है और फिर सिर से पैर तक पूरे शरीर पर चंदन का लेप लगाया जाता है।
  • फिर अनुष्ठान भगवान गणेश की पूजा के साथ शुरू होता है।
  • देवताओं को याद करने के लिए गायत्री मंत्री का 11,000 बार जाप किया जाता है। इसके बाद बालक शास्त्रों की शिक्षा का सही ढंग से पालन करने का संकल्प लेता है।
  • इसके बाद, बच्चे को उसी उम्र के लड़कों के साथ चूरमा खिलाया जाता है और फिर नहलाया जाता है।
  • इसके बाद पंडित, पिता या परिवार का कोई भी बड़ा सदस्य बच्चे के सामने गायत्री मंत्र पढ़ता है और उससे कहता है, ‘आज से तुम ब्राह्मण हो।’
  • फिर बच्चे को एक छड़ी दी जाती है और आसपास के लोग उससे भीख मांगते हैं।
  • रीति-रिवाज के नाम पर बच्चा घर से भाग रहा है क्योंकि उसे पढ़ाई के लिए काशी जाना है। ऐसा माना जाता है कि कुछ समय बाद लोग वापस जाते हैं और शादी के नाम पर व्यक्ति को वापस ले आते हैं।

Rules of Janeu Sanskar – जनेऊ संस्कार के नियम

आइए अब जनेऊ संस्कार की पूजा में अपनाए जाने वाले नियमों के बारे में चर्चा करते हैं।

  • जनेऊ संस्कार वाले दिन यज्ञ का आयोजन सही ढंग से करना चाहिए।
  • फिर बच्चा परिवार के सदस्यों के साथ यज्ञ में बैठता है।
  • फिर लड़के को बिना सिले कपड़े या धोती पहनाई जाती है और बच्चे को एक छड़ी भी दी जाती है। साथ ही गले में पीला कपड़ा पहनें और पैरों में खड़ाऊ पहनना जरूरी है।
  • मुंडन के समय केवल एक चोटी छोड़नी चाहिए।
  • जनेऊ का रंग पीला होना चाहिए।
  • विभिन्न लोगों के मतानुसार जनेऊ संस्कार की आयु ब्राह्मणों के लिए 8 वर्ष, छत्रिय के लिए 11 वर्ष तथा वैश्यों के लिए 12 वर्ष है।

यदि आप जनेऊ पहनने की प्रक्रिया और उपनयन मुहूर्त 2025 – Upanayana Muhurat 2025 के बारे में जानना चाहते हैं, तो सटीक मुहूर्त के बारे में जानने के लिए किसी जानकार और विद्वान पंडित से संपर्क करने का सुझाव देते है।

Yagyopaveet – Benefits of Wearing Janeu – यज्ञोपवीत – जनेऊ पहनने के फायदे

  • जानिए हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार जनेऊ पहनने या यज्ञोपवित करने के फायदों के बारे में सटीक जानकारी।
  • गायत्री मंत्र धारण करने से कंपन से रक्षा होती है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा भी आती है।
  • पवित्र धागा बच्चे के जीवन में शक्ति और स्थिरता भी प्रदान करता है।
  • ये बच्चे बुद्धिमान हैं और वेद-पुराण भी पढ़ते हैं।
  • उपनयन संस्कार बच्चे को नकारात्मक और बुरी ताकतों से भी बचाता है।


Follow the Rules Absolutely Related to Janeu – जनेऊ से जुड़े नियमों का पूरी तरह से पालन करें

  • उपनयन मुहूर्त 2025 – Upanayana Muhurat 2025 के अनुसार, मूत्र त्याग के समय जनेऊ को दाहिने कान पर रखना चाहिए और हाथ धोने के बाद ही जनेऊ को कान से उतारना चाहिए।
  • यदि कोई धागा टूट जाए तो पवित्र धागे को बदल देना चाहिए।
  • एक बार जनेऊ धारण करने के बाद उसे नया यज्ञोपवीत धारण करते समय ही उतारना चाहिए।

IndianAstroVedic

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